शुक्रवार, 19 अगस्त 2016

आई (मैं) ओ के, पी (पाकिस्तान) ओ के, दुनिया जाए...............

रुसवाई का दरिया तो बहुत तेज था लेकिन। 
तुम भी संभल गए वहांहम भी संभल गए।
चल तो दिए हो साथ मेरे राहे इश्क में। 
क्या होगा अगर पांव तुम्हारे फिसल गए।
ये तो रही इश्क की बात, जिसके बारे में कहते हैं कि इक आग का दरिया है और डूब के जाना है। और जहां डूब के ही जाना नियति हो, वहां फिसलना-संभलना रोजमर्रा की बात है। लेकिन दुनिया तो इश्क-मुश्क से आगे भी है। पेट भूखा रहेगा तो इश्क कहां से फरमाएंगे। और पेट भरने के लिए मुंह का होना जरूरी है, जिसमें जुबान नाम की एक चीज होती है। जो कई बार तलवार से भी ज्यादा धारदार होती है। तलवार से बाहरी चोट लगती है, पर जुबान अक्सरहा दिल को घायल कर देती है। और अगर जुबान वाकई इतनी खतरनाक है, तो निश्चत तौर पर उसका फिसलना, पांव के फिसलने से ज्यादा खतरनाक होगा। शायद है भी।

अभी हाल का एक वाकया है, जिसमें सेलिब्रिटी ओल्ड यंग मैन राजा यानी दिग्गी राजा उर्फ दिग्विजय सिंह की जुबान फिसल गई। बोले- प्रधानमंत्री मोदी को पाक अधिकृत कश्मीर की ज्यादा चिंता हैइसके लिए वे बधाई के पात्र है लेकिन वे हिंदुस्तान के कश्मीरियों से बात करने को तैयार नहीं है. अगर हमें कश्मीर के लोगों के मन में विश्वास पैदा करना है फिर चाहे वह पाक अधिकृत कश्मीर हो या भारत अधिकृत कश्मीर, यह वहां के लोगों से बातचीत के जरिए ही संभव है। अब उन्हें कौन समझाए कि कश्मीर तो भारत का अभिभाज्य अंग है। हम तो पाक अधिकृत कश्मीर को भी अपना मानते हैं। हालांकि हर बार की तरह ही इस बार भी उन्होंने सफाई दी कि देश के लोगों ने उनकी बात का गलत मतलब निकाल लिया।
इतिहास पर गौर करें तो जुबान फिसलने के मामले में राजा का कोई सानी नहीं है। जब-तब फिसल ही जाती है। हालांकि सच यह भी है कि राजा कुछ दिन शांत रहें तो लोगों को बेचैनी होने लगती है। उधर, राजा के साथ दिक्कत यह कि बोले तो हंगामा और न बोले तो कयासबाजी कि चुप क्यों हैं? शायद यही वजह है कि चुप्पी तोड़कर जल्द ही वह अपनी मौजूदगी का अहसास करा देते हैं। राजा को राजधर्म भूल भी कैसे सकता है।

दुनिया जिसे आतंकी नंबर एक मानती थीउसकी मौत के बादराजा उसे ओसामाजी पुकारने लगे थे। जल्द ही उन्हें महसूस हुआ कि अब तो दुनिया बिन लादेन हो गई है। यह काम तो ओसामा के जिंदा रहते करना चाहिए था। सो कुछ दिन बाद ही अपनी गलती सुधारते हुए उन्होंने अपनी साहेब की पदवी से मोस्ट वांडेड हाफिज सईद को नवाज दिया। वही हाफिज सईद जो हिंदुस्तान के खिलाफ आए दिन जहर की कुल्ली किया करता है। वही हाफिज सईद, जिसके खिलाफ हाल में दरगाह आला हजरत की तरफ से फतवा जारी किया गया है। मुफ्ती मुहम्मद सलीम बरेलवी ने हाफिज सईद को आतंकी विचारधारा रखने वाला शख्स बताया है। साथ ही सईद को मुसलमान मानने और उसकी बातों पर यकीन करने से मना किया है।

हालांकि जब राजा ने हाफिज सईद को साहेब करार दिया था, तब आतंकियों को लगा थाकोई तो हैजो उन्हें सम्मान भरी नजरों से देखता है। उनके लिए जी और साहेब जैसे संबोधन का इस्तेमाल करता है। वैसे भी राजा के कद्रदानों की कमी नहीं है। युवराज से लेकर तमाम नामचीन हस्तियों लंबी फेहरिस्त है। राजा इसलिए पुकार रहा हूं क्योंकि साहेब तो हाफिज सईद के साथ चला गया। उसके बाद से ही उन्हें राजा कहता हूंबेशक उनके पास न सूबा हैन रियासत। रह गई है सिर्फ सियासत। बोलते रहिए, राजा, सियासत का यही तकाजा है।