सोमवार, 11 अप्रैल 2011

जीते अन्ना, हार गया भारत

अजीब संयोग है. आठ दिनों के भीतर ही दो बार जीत मिली. दोनों ही जीत का सबब बना महाराष्ट्र शनिवार, तारीख थी दो अप्रैल, 2011. दुनिया भर की नजरें मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर टिकी हुई थीं. हर कोई दिल थामकर बैठा था. जैसे जैसे रात गहरा रही थी, धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. पर आधी रात से पहले अच्छी खबर आ गई. लोग जश्न मना रहे थे. भारत जीत गया था. श्रीलंका को हराकर विश्व विजेता बन गया था. शनिवार, तारीख नौ अप्रैल. पूरे आठ दिन बीत गए पर एक पल भी ऐसा नहीं हुआ, जब महाराष्ट्र चर्चा में न रहा हो. यह जरूर कह सकते हैं कि नायक बदल गए पर सेहरा बंधा मराठी मानुस के सिर ही. पिछले शनिवार अगर 37 के सचिन कंधे की सवारी कर रहे थे, तो अगले शनिवार को महफिल लूटी 73 के अन्ना हजारे ने. पहले शनिवार को अगर भारत जीता तो दूसरे शनिवार को अन्ना जीते.जीत के लिए सचिन को बधाई मिली थी, अन्ना भी बधाई के हकदार हैं. हैट्स आफ सचिन, अन्ना को गांधी टोपी मुबारक. आप गांधीजी के बताए रास्ते पर चलते हैं. अहिंसा और उपवास में आस्था है. दुनियाभर में लोग गांधवादी के तौर पर ही जानते-पहचानते हैं. गांधी खानदान के इशारों पर चलने वाली सरकार को हिलाने के लिए आप सरीखे महान गांधीवादी ने गांधीजी के उपवास वाले अस्त्र का सहारा लिया. कामयाब भी रहे. अब तो आपको आधुनिक गांधी बताया जा रहा है.भारत के इतिहास में थोडी़ भी रुचि रखने वालों ने 1922 के चौरी-चौरा कांड के बारे में जरूर सुना होगा. जिनकी रुचि बिल्कुल नही, उन्हें बता रहा हूं. अंग्रेजी जुल्म के खिलाफ पूरा देश असहयोग आंदोलन कर रहा था. लोगों का गुस्सा किस कदर उफान पर था, इसका अंदाजा इसी घटना के बाद लगा. पूर्वी उत्तर प्रदेश में चौरी चौरा नाम के छोटे से कस्बे में पुलिसवालों ने जब अंग्रेजों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे ग्रामीणों को निशाना बनाया, तो भीड़ ने थाने में आग लगा दी. 22 पुलिसवालों की वहीं चिता बन गई. दूसरे दिन जब गांधीजी को इस घटना का पता लगा तो उन्होंने आनन फानन में असहयोग आंदोलन वापस लेने की घोषणा कर दी, जब उस समय वह आंदोलन पूरे ऊफान पर था. सारा देश हैरान. मोती लाल नेहरू, चितरंजन दास जैसे शीर्ष नेताओं को तो कुछ समझ में ही नहीं आया. देश दो राहे पर खड़ा हो गया. सबको पता है, भारत को आजादी के लिए पूरी चौथाई सदी का इंतजार करना पड़ा. अन्ना ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ा, जबकि वह तो कब का लोकाचार बन चुका है. सरकार यह बात अच्छी तरह जानती थी. सो उसे भ्रष्टाचार से कोई डर नहीं था. वह डर रही थी अन्ना से. उनके उपवास से. अन्ना को लग रहा था कि लोग उनके साथ खड़े हैं, जबकि लोग जुटे थे उस लोकाचार के विरोध में, जो अब अभिशाप का रूप लेता जा रहा है. देशभर में मोमबत्ती मार्च हो रहा था. क्या बूढ़ा, क्या जवान, क्या बच्चे, क्या महिलाएं. अभिशाप ने सबको परेशान कर रखा था. सबका गुस्सा बाहर आने को बेकरार था. ईमानदार छवि वाला कोई भी आगे आता, नायक बन जाता. शुक्रवार शाम से डील की सुगबुगाहट होने लगी. बताया जाने लगा कि सरकार ने अन्ना की सभी मांगे मान ली हैं. बस औपचारिक आदेश का इंतजार है. अगली सुबह आदेश आ गया. अच्छा हुआ कि छोटी सी बच्ची ने जूस पिलाकर अन्ना का उपवास खत्म कराया, वरना जिस तरह से टेलीकाम मंत्री कपिल सिब्बल सरकार की तरफ से मोर्चा संभाले हुए थे, उससे तो यही लग रहा था कि उपवास तोड़वाने की जिम्मेदारी भी उन्हें ही सौंपी जाएगी. यह वही कपिल सिब्बल हैं, जिन्हें पौने दो लाख करोड़ का टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाला नजर ही नहीं आता, जबकि भारतीय इतिहास में इसे सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है. बात यहीं तक रहती तो भी ठीक था. यह विडंबना ही है कि भ्रष्टाचार की नकेल कसने के लिए प्रस्तावित लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली साझा समिति में भी सिब्बल साहब को जगह दी गई. 90 साल बाद इतिहास ने खुद को दोहराया है. देश एक बार फिर दो राहे पर खड़ा है. उसने क्या सोचा था और क्या हासिल हुआ. हालांकि परेशान होने जैसी कोई बात नहीं है. कानून बन जाने से ही अगर अपराध खत्म हो जाते, तो फिर हत्या और बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं कब की इतिहास बन चुकी होतीं. देश को अभी और इंतजार करना होगा. संभव है कानून का कोई विकल्प आ जाए. अन्ना आप जीत गए. सरकार भी जीत का दावा कर रही है, पर भारत हार गया

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना,
    मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.समाज में समरसता,सुचिता लानी है तो गलत बातों का विरोध करना होगा,
    हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  2. anand ji main aapke blog par hi tippani kiya hai. keval pahli line aapke post ke liye, baki aapko apne blog par ho rahi charcha me bhag lene ke liye amantrt kiya hai.

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