हाथ जले पर साइकिल चले
ओमकारा फिल्म का वह गाना याद होगा, बीड़ी जलइले... जिगर मे बड़ी आग है। बिपाशा
बसु के जिगर की आग से बीड़ी जली या नहीं लेकिन पेट्रोल की कीमतों में लगी आग न
केवल हाथ को झुलसा रही है, बल्कि लोगों के घर भी जला रही है। पर कहावत है कि किस्मत के
खेल निराले। अब देखिए न। वही आग समाजवादी पार्टी के लिए बड़े काम की साबित हो रही
है। बिना कुछ किए, किसी के चाहे-अनचाहे, उसकी रोटी सिक रही है। पेट्रोल की कीमतों
की आग में समाजवादी पार्टी की साइकिल दमक रही है। हर छोटा-बड़ा आदमी साइकिल पर
चलने की बात कर रहा है। और इस बार तो हद ही हो गई। पेट्रोल की कीमतों में अब तक की
सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखने के बाद जिगर में आग होने का दम भरने वाली बिपाशा बसु तक
ने साइकिल से चलने का ऐलान कर दिया। कई और सिने तारिकाएं भी कुछ इसी तरह की बात कह
रही हैं।
कांग्रेस नीत यूपीए-2 सरकार के अब तक के तीन साल के कार्यकाल में पेट्रोल की
कीमतें 16 बार बढ़ीं। 44 रुपये से कीमतें 75 के करीब पहुंच गईं। यह अपने आप में रिकार्ड
है। पर जैसे-जैसे कीमतों में इजाफा होता गया, साइकिल की अहमियत बढ़ती गई। आकड़ों
पर गौर करेंगे तो आप भी समझ जाएंगे। जरा तीन साल पहले की समाजवादी पार्टी और उसकी
साइकिल की हालत पर गौर कीजिए। समाजवादी पार्टी के मुखिया, उत्तर प्रदेश के पूर्व
मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री माननीय मुलायम सिंह यादव जी फिरोजाबाद
संसदीय सीट से अपनी बहू डिंपल यादव तक को नहीं जितवा पाए थे, जबकि वह सीट वहां से सांसद
और उनके बेटे अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी।
हम तो इसे पेट्रोल की कीमतों में उछाल का ही असर कहेंगे कि समाजवादी पार्टी ने
अकेले अपने दम पर उत्तर प्रदेश में सरकार बनाई. सूबे को अखिलेश यादव जैसा युवा
मुख्यमंत्री मिला। जबकि तीन साल की कौन कहे, छह महीने पहले भी कोई बहुत भरोसे से
यह नहीं कह पा रहा था कि समाजवादी पार्टी बहन मायावाती की बहुजन समाज पार्टी को इस
तरह चित करेगी. लेकिन पेट्रोल की बढ़ती कीमतें समाजवादी पार्टी के लिए धोबिया पाट
दांव साबित हुईं। यह भी पेट्रोल की बढ़ती कीमतों का ही असर है कि कन्नौज सीट पर
समाजवादी पार्टी की तरफ से डिंपल यादव के चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ ही उनकी जीत
के दावे शुरू हो गए हैं। इसे भी संयोग कहेंगे कि यह सीट भी उनके पति और सूबे के मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव के इस्तीफा देने के बाद ही रिक्त हुई है।
पिछले दिनों यूपीए के तीन साल पूरे होने के मौके पर जब प्रधानमंत्री ने
रात्रिभोज का आयोजन किया तो उसमें मुलायम सिंह यादव को खास तवज्जो दी गई। वहां
सोनिया गांधी ने जिस तरह से मुलायम सिंह यादव की मेहमाननवाजी की, उसके बाद से कयास
लगाए जा रहे हैं कि संकट के दौर में मुलायम सिंह सरकार के सबसे बड़े संकटमोचक
साबित हो सकते हैं। खबरें तो कुछ इसी तरह की आ रही हैं कि पिछले तीन सालों में
ममता दीदी के तेवरों से यूपीए-2 सरकार तंग आ चुकी है। उनका रोज रोज लाल पीला होना,
सड़क पर उतरना सत्तारूढ़ पार्टी को किसी भी कोने से सुहा नहीं रहा। कहा जाने लगा
है कि सरकार और सरकार चलाने वाले उनसे पिंड छुड़ाना चाहते हैं। उन्हें यह मंजूर
नहीं कि यूपीए का ही कोई घटक दल सरकार के फैसलों पर उंगली उठाए। और अगर वे ऐसा सोच
पा रहे हैं, तो उसकी एकमात्र वजह समाजवादी पार्टी का दोस्ताना व्यवहार है। यानी
साइकिल की अहमियत बढ़ रही है।
समाजवादी पार्टी को भी लगता है कि यूपीए-2 सरकार का कार्यकाल पूरा होने में अभी
दो साल का समय है। इस दौरान अभी न जाने कितनी बार पेट्रोल की कीमतों में आग लगे।
उसकी साइकिल की अहमियत तो बढ़ती ही जाएगी। यही सोचकर या यह कहें कि सरकार के बचे
हुए दो साल का समाजवादी पार्टी पूरा फायदा उठाना चाहती है। उसने अपने पांव पसारने
शुरू भी कर दिए हैं। विभिन्न राज्यों में दमदार मौजूदगी के लिए पार्टी कोई कोर कसर
बाकी नहीं लगाना चाहती। उसे हर हाल में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चाहिए. और इसके
लिए उसकी सारी उम्मीदें पेट्रोल की कीमतों पर टिकी हुई हैं। अब कांग्रेस का हाथ
जलता है तो जले, समाजवादी पार्टी की साइकिल तो चलेगी और खूब चलेगी। पेट्रोल की
कृपा से मुलायम सिंह जी देश के अगले प्रधानमंत्री बन जाएं तो किसी को हैरानी नहीं
होनी चाहिए। पेट्रोल की आग भले ही मुझे भी जला रही हो, पर हम तो यही दुआ करेंगे कि
मुलायम सिंह जी देश के प्रधानमंत्री बनें. वैसे भी सूबा उत्तर प्रदेश बहुत दिनों
से अपने किसी नेता के इस पद तक पहुंचने का इंतजार कर रहा है।
बढिया पकड़ा है. नजा आया.
जवाब देंहटाएंसर, अभी फेसबुक पर किसी ने एक बड़ा मज़ेदार स्टेटस अपडेट किया था...एक तस्वीर थी जिसमें सोनिया और मनमोहन सिंह एक पेट्रोल पंप के सामने पोज में खड़े थे...और नीचे पंच लाइन लिखी थी...आज कुछ तूफानी करते हैं...
जवाब देंहटाएंआपने बिल्कुल सही लिखा है कि यूपीए का महंगा पेट्रोल साइकिल की माइलेज बढ़ा सकता है...